1 Part
176 times read
7 Liked
क़लम कितना लिखती हो तुम कलम कितना लिखती हो तुम, मन में छिपे अगणित भावों को। कागज पर कैसे उकेरती हो तुम, क्या तुम कभी थकती नहीं हो। परिश्रम कितना करती ...